“SMILE – Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise” Scheme
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने “SMILE – Support for Marginalized Individuals for Livelihood and Enterprise” नामक एक योजना लागु की गयी है।
इसमें एक उप-योजना – ‘भीख मांगने में लगे व्यक्तियों के व्यापक पुनर्वास” के लिए Central Sector Scheme भी शामिल है।
प्रमुख बिंदु–
- भिखारियों और ट्रांसजेंडरों के लिए मौजूदा योजनाओं के विलय के बाद यह एक नई योजना है।
- इस योजना में भीख मांगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के पुनर्वास के लिए राज्य/संघ राज्य क्षेत्र सरकारों और शहरी स्थानीय निकायों के पास उपलब्ध मौजूदा आश्रय गृहों के उपयोग का प्रावधान है।
- मौजूदा आश्रय घरों की अनुपलब्धता के मामले में, कार्यान्वयन एजेंसियों द्वारा नए समर्पित आश्रय घरों की स्थापना की जानी है।
योजना का ध्यान बड़े पैमाने पर पुनर्वास, चिकित्सा सुविधाओं के प्रावधान, परामर्श, बुनियादी दस्तावेज, शिक्षा, कौशल विकास, आर्थिक संबंधों आदि पर है। यह अनुमान लगाया गया है कि गरिमापूर्ण जीवन जीने के लिए इस योजना के तहत लगभग 60,000 सबसे गरीब व्यक्तियों को लाभान्वित किया जाएगा।
कार्यान्वयन (Implementation):
इसे राज्य/केंद्र शासित प्रदेश की सरकारों/स्थानीय शहरी निकायों, स्वैच्छिक संगठनों, समुदाय आधारित संगठनों (सीबीओ), संस्थानों और अन्य के सहयोग से लागू किया जाएगा।
भिखारियों के व्यापक पुनर्वास की योजना (Scheme for Comprehensive Rehabilitation of Beggars):
भीख मांगने के कार्य में लगे व्यक्तियों के लिए यह एक व्यापक योजना होगी। इस योजना को भिखारी समुदाय की बड़ी सघनता वाले चयनित शहरों में पायलट आधार पर लागू किया गया है।
वर्ष 2019-20 के दौरान, इस मंत्रालय ने राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (एनआईएसडी) के लिए 1 करोड़ रुपये और भिखारियों के लिए कौशल विकास कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (NBCFDC) को 70 लाख रुपये की राशि जारी की थी।
भारत में भिखारियों की स्थिति:
जनगणना 2011 के अनुसार, भारत में भिखारियों की कुल संख्या 4,13,670 (2,21,673 पुरुषों और 1,91,997 महिलाओं सहित) है और पिछली जनगणना से संख्या में वृद्धि हुई है।
पश्चिम बंगाल चार्ट में सबसे ऊपर है और उसके बाद उत्तर प्रदेश और बिहार क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार लक्षद्वीप में केवल दो भिखारी हैं। केंद्र शासित प्रदेशों में, नई दिल्ली में भिखारियों की सबसे बड़ी संख्या 2,187 और चंडीगढ़ में 121 थी।
पूर्वोत्तर राज्यों में, असम 22,116 भिखारियों के साथ चार्ट में सबसे ऊपर है, जबकि मिजोरम 53 भिखारियों के साथ निचले स्थान पर है। कुशल युवा कार्यक्रम
हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय भीख मांगने को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए एक याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया है, जिसे विभिन्न राज्यों में भीख मांगने की रोकथाम अधिनियम के तहत अपराध बना दिया गया है।
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (National Backward Classes Finance & Development Corporation)-
NBCFDC सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के तत्वावधान में भारत सरकार का उपक्रम है।
इसे कंपनी अधिनियम 1956 की धारा 25 के तहत 13 जनवरी 1992 को लाभ के लिए नहीं कंपनी के रूप में शामिल किया गया था। इसका उद्देश्य पिछड़े वर्गों के लाभ के लिए आर्थिक और विकासात्मक गतिविधियों को बढ़ावा देना और कौशल विकास और स्वरोजगार उद्यमों में इन वर्गों के गरीब वर्ग की सहायता करना है।
राष्ट्रीय समाज रक्षा संस्थान (National Institute of Social Defence)-
एनआईएसडी एक स्वायत्त निकाय है और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीटी), दिल्ली सरकार के साथ 1860 के सोसायटी अधिनियम XXI के तहत पंजीकृत है।
यह सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के लिए एक केंद्रीय सलाहकार निकाय है। यह समाज रक्षा के क्षेत्र में नोडल प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान है।
संस्थान वर्तमान में नशीली दवाओं के दुरुपयोग की रोकथाम, वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण, भिक्षावृत्ति की रोकथाम, ट्रांसजेंडर और अन्य सामाजिक रक्षा मुद्दों के क्षेत्रों में मानव संसाधन विकास पर ध्यान केंद्रित करता है।
संस्थान का जनादेश प्रशिक्षण, अनुसंधान और प्रलेखन के माध्यम से भारत सरकार के सामाजिक रक्षा कार्यक्रमों के लिए इनपुट प्रदान करना है।
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